वो जो हाथ तक से छूने को बे-अदबी समझती थी .. गले लगकर बहुत
रोयी बिछडने से जरा पहले
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दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद हैं देखना है चलाता है मुझ पे पहला
तीर कौन
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सूखते पत्ते ने डाली से कहा, 'चुपके से अलग करना'.. वरना.. 'लोगों का
रिश्तों से भरोसा उठ जायेगा
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दिल चुराना शौक नही पेशा है मेरा, क्या करें " STATUS " ही कुछ ऐसा है
मेरा.
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काश मैं लौट जाऊँ बचपन की उन गलियों में , जहां ना कोई ज़रूरत थी, ना
कोई ज़रूरी था
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तब भी अजनबी थे , आज भी अजनबी है .... बस बीच मे प्यार हो गया था
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है कोई वकील इस जहान में, जो हारा हुआ इश्क जीता दे मुझको
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मैं उन लोगों को पसंद करता हूँ जो बुरे समय में भी हँसते हैं.
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मुद्दत से कोई उसकी छाँव में नहीं बैठा... वो छायादार पेड़ इसी गम में सूख
गया
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मेरे हाथ कि लकीरों मे तुम हो की नहीं पर जिंदगी भर तुम मेरे दिल
में रहोगी
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RESULT के बाद: न तलवारकी धारसे न गोलियोंकी बौछारसे,
बंदा डरता हे तो सिर्फ अपने बाप की मार से.
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तुझे क्या देखा, खुद को ही भूल गए हम इस क़दर.. कि अपने ही घर आये
तो औरों से पता पूछकर
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कोई और तरीक़ा बताओ जीने का... साँसे ले ले कर थक गया हूँ उसके
बिना
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बड़े अनमोल है ये खून के रिश्ते , इनको तू बेकार न कर ,
मेरा हिस्सा भी तू ले ले मेरे भाई , घर के आँगन में दीवार ना कर.
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क्यों याद करेगा वो बेवजह मुझे ऐ खुदा, लोग तो बेवजह तुम्हे भी याद नहीं
करते.
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फिर से तेरी यादें मेरे दिल के दरवाजे पे खड़ी हैं वही मौसम, वही बारिश,
वही दिलकश ‘महीना है
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पूछते थे ना कितना प्यार है हमें तुम से, लो अब गिन लो….ये बूँदें बारिश की.
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बादलो से कह दो जरा सोच समझकर बरसे, अगर मुझे उसकी याद आ
गयी तो मुकाबला बराबरी का होगा
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सुनो.. बहुत गहरा नाता है तुम्हारी उदासी से मेरी उदासी का
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दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है ..... लम्बी है ग़म की शाम मगर
शाम ही तो है
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इंतजार किया है तेरा इतना वहाँ कि, अब आने जाने वाले हर शख्स कि
आहटें पहचानता हूँ
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#पढ़ना लिखना त्याग, नक़ल से रख आस,
ओढ़ #रजाई सो जा बेटा, #रब करेगा पास.🤩
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