Thursday, February 18, 2016

व्हाट्स ऍप स्टेटस .. पार्ट 12




थोडा सब्र रख तुझसे रिश्ता भी खत्म कर दूँगी ,
बस मुझे इन्तजार है मेरी धड़कनों के रुक जाने का !!


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मैंने मुद्दत से कोई ख़्वाब नहीं देखा है,
हाथ रख दे मेरी आँखों पे की नींद आ जाए..



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दिल समझता था #अकेले में वो तनहा होंगे , पर जब पर्दा उठाया तो क़यामत निकली 




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हर शख्स मुझे ज़िन्दगी जीने का सलीक़ा बताता है,
उन्हें कैसे समझाऊँ कि, एक "ख्वाब" अधूरा है मेरा, वरना जीना तो मुझे भी आता है.
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 नफ़रत भी करोगी तो आऊंगा तुम्हारे पास 
देखो , तुम्हारे बगैर  रहने की आदत नहीं मुझे 




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जन्नत की तलाश तो उन्हें होती... जिन्हे जन्नत की परवाह होती...!
मेरी जन्नत तो तुमसे... शुरू और तुम्हीं पर खत्म होती...!!


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बार-बार की चोट से तो..टूट जाते हैं पत्थर भी....
किसी के साथ सख्ती बरतो..तो ज़रा ख्याल रखना....!!


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मेरी आँखों के जादू  से अभी तुम कहा वाकिफ हो , हम उसे भी जीना सिखा देते हैं जिसे मरने का शौक हो ।




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पगली बोली कि तुम इतने भी ‪#‎खूबसुरत‬ नहीं . . . . मैंने कहा ‪#‎baby‬ #खूबसूरत तो ‪#‎लड़किया‬ होतीं है  _Hum तो ‪#‎खूँखार‬ ही _Achhe लगते है .




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कोई हुनर, कोई राज, कोई रविश, कोई तो तरीका बताओ
दिल टूटे भी ना, साथ छूटे भी ना, आप  रुठे भी ना और जिदंगी गुजर जाए..




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शुक्रिया दोस्त तूने मुझे बेशुमार गम दिया,.... वरना शिकायत थी ज़िन्दगी ने जो भी दिया कम दिया..



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धडकन में तेरी साँसें  बसी हैं... लफ्जों में तेरा इश्क छुपा है




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"आप बेवफा होंगे सोचा ही न था, आप भी कभी खफा होंगे सोचा न था, जो गीत लिखे थे कभी प्यार में तेरे, वही गीत रुसवा होंगे सोचा ही न था."




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ये सोचकर हमनेंं ख़ुद को बेरंग रखा है.., सुना है सादगी ही मोहब्बत की रूह होती है...



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उस वक़्त भी अक्सर तुझे हम ढूँढने निकले,
जिस धूप में मज़दूर भी छत पर नहीं आते!"




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अंदाज़ कुछ अलग हैं मेरे सोचने का,   सब को मंजिल का शौक है और मुझे रास्तों का.




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तुमने समझा ही नहीं…और ना समझना चाहा, हमने चाहा ही  क्या था तुमसे… “तुम्हारे सिवा”.



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सच्चा ‪‎दोस्त‬ मिलना बहुत ही ‪‎मुश्किल‬ है ,  मैं खुद ‪‎हैरान‬ हूँ कि तुम लोगों को मेरा पता कहाँ से मिला 




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 अपनी ख़्वाहिशों को मरनें मत देना , यही  वो  वजह होगी जो तुम्हे हारने नहीं देगी 





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जो ‘दोगे’ वहीं लौट कर आयेगा, चाहे वो 'सम्मान' हो या ‘बेईज्ज़ती ’…




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हाथ पकड ले पगली अभी तो तेरा हो सकता हूँ, वरना  भीड़ बहुत है खो भी सकता हूँ.




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हद से बढ़ जाये मुलाकात तो गम मिलते हैं ,  हम इसी वास्ते अब हर शख्स से कम मिलते हैं …!




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हम वो ही हैं, बस ज़रा ठिकाना बदल गया हैं अब ,  तेरे दिल से निकल कर,  अपनी औकात में रहनें लगे हैं.




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