उससे जुदा होने के बाद अपनी हथेली को देखा मैंने...
लिखने वाले ने कौन सी लकीर, लिख के मिटाई होगी..
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ये दुआ है मेरी कि तुझ पर कोई आँच ना आये ऐ सनम ,
तू महफूज रहे सदा सींप में बन्द मोती की तरह
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हम समंदर हैं, हमें खामोश ही रहने दो…. ज़रा मचल गये, तो शहर ले डूबेंगे…
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बाहों में आकर पूछा था उन्होंने,कौन सा रंग लगाउँ तुम्हें..!!
हमनें भी मुस्कुराकर कह दिया,मुझे सिर्फ़ तुम्हारे होंठो का रंग पसंद है...
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इज़्ज़त इन्सान की नहीं ज़रूरत की होती है … जरुरत खत्म तो इज़्ज़त खत्म …
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अच्छी सूरत वाले सारे पत्थर दिल हो मुमकिन है..
हम तो उस दिन राय देंगे जिस दिन धोखा खायेंगे..
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मैंने अपनी मौत की अफवाह उड़ाई थी, दुश्मन भी कह उठे आदमी अच्छा था...!!!
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निगाहें फेर कर,जो हमसे दूर बैठे हैं....
इधर भी देखिए हजुर हम बेकसूर बैठे हैं...!
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दुश्मनों से मोहब्बत होने लगी है… जब से अपनों को आजमाते चले गए
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एक ऐसी भी तसल्ली आज मैखाने में है..लुत्फ पीने में नहीं, बल्कि खो जाने में है..
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# तुझ से दूर रहकर #मोहब्बत बढती जा रही है #क्या कहूँ, #कैसे कहूँ ये दूरी मुझे और #करीब ला रही है
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आप बिन साँसें तो चलती है , लेकिन महसूस नहीं होती
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"भूल जाने का मशवरा और जिंदगी बनाने की सलाह, ये कुछ तोहफे मिले थे, उनसे आखिरी मुलाकात मेँ....!"
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बहक जाने दो मुझे मेरे यार की मोहब्बत में
ये वो नशा है जो .मेरे सर से कभी उतरता नहीं
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वो जो दो पल थे, तेरी और मेरी #मुस्कान के बीच, बस.. वहीं कहीं #इश्क़ ने जगह बना ली
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इस सादगी पै कौन न मर जाये ऐ खुदा,
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं..
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तू अगर मुझे नवाजे तो तेरी दया है मेरे मालिक साईं
वरना तेरी रहमतों के लायक मेरी बंदगी कहाँ ....
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.तेरे बग़ैर इश्क़ हो भी तो कैसे हो..
इबादत के लिए ख़ुदा भी तो ज़रूरी होता है..
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हमनें सोचा था की हर मोड़ पर याद करेंगे तुझे पर कमबख़त पूरी सड़क ही सीधी निकली कोई मोड़ ही नहीं आया
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मुझे #रिश्तो की #लंबी #कतारोँ से #मतलब नहीं ..!!
कोई #दिल से हो #मेरा, तो एक #शख्स ही #काफी है..!!
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Meri ulfat se tang aa jao To bata dena .
Mujhe sachii nafrat pasand hai,dikhawe ka pyar nahi.
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