Tuesday, May 3, 2016

व्हाट्स ऍप स्टेटस --पार्ट 44






न जाने कैसे आग लग गई ,बहते हुए पानी में...

हमने तो बस कुछ खत बहाऐ थे उसके नाम के...


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सुन पगली : एक तेरी ख़्वाहिश है बस  , क़ायनात किसने मांगी है 




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एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है ,  इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है
उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद , फिर हर मोड़ पे उसी का इंतज़ार क्यों है



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सुना है उन्हें अब मेरा चेहरा भी याद नहीं…
हम तो उनकी यादों के गोद में आज भी सर रख के सोते है



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घण्टों बैठ इक तकते रहे तेरी सूरत को,
तुझे देखना इबादत में शुमार हो जैसे!



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मासूमियत तुझमें है पर तू इतना मासूम भी नहीं ,
कि मै तेरे क़ब्ज़े में हूँ और तुझे मालूम भी नहीं.!!!!!



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दिल में नजर में दर्द की गहराइयों में है
एक शख्स आज भी मेरी तन्हाइयों में है  




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पलकों में आँसूं और दिल में दर्द सोया है,
हँसने वालो को क्या पता की रोने वाला किस कदर रोया है !!


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इनकार करते थे वो हमारी मोहबत से……और हमारी ही तसवीर उनकी किताब से निकली…



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काश जिन्दगी में मौत यूँ आए , बाहों में तेरे सिर हो और मेरी रुह चली जाए !!



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जिसे देख कर चाँद को शर्म आये , मुहब्बत का वो दाग शायर पर लगा



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देख कर मुझको निगाहें फेर क्यूँ लेते हो तुम
क्या मेरे चेहरे पे अपना अक्स दिखता है तुम्हे




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कांच के टुकड़े बनकर बिखर गयी है  , ज़िन्दगी मेरी…
किसी ने समेटा ही नहीं…हाथ ज़ख़्मी होने के डर से…




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मेरी डायरी के कितने ही लफ्ज़ छितरे हुए से हैं...अक्सर तुम्हें लिखते हुए रो पड़ता हूँ मैं ......




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इतनी तो तेरी सूरत भी नहीं देखी मैने , जितना तेरे इंतज़ार में घड़ी देखी है !!




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मैं फटे बटवे सा खाली हूँ__तुम ए टी एम का कैश प्रिये_



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दोनों के दिल में अरमानों का सैलाब उठता है....जब भी मेरी आँखों से मिलती है तेरी आँखें.....





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देख रहा हूँ सामने बैठी लड़की की आँखे
सोच रहा हूँ एक मोहब्बत और सही डूब कर इन में 





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अपने सीने से लगा कर मुझमें इतना प्यार भर दे ...तुझसे फ़िर जुदा ना हो पाऊँ मुझे इतना मजबूर कर दे.....




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कैसे गुजरती है हर शाम मेरी तेरे बिना.. बस एक बार तू देख ले,तो कभी तन्हा ना छोड़े मुझे..


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समझते थे मगर फिर भी ना रखी दूरियाँ हमने..
चरागो को जलाने में,जला ली उंगलियां हमने..



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