कुछ किस्से दिल में...कुछ कागजों पर आबाद रहे...
बताओ कैसे भूलें उसे...जो हर साँस में याद रहे........
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फ़कीराना तबियत है हमारी .. मिले तो बाँट लेते हैं..!
हमसे दुआओं की..जमाखोरी नहीं होती..!!
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तुम मुझमें पहले भी थे , तुम मुझमें अब भी हो , फर्क बस इतना है...
पहले मेरे लफ़्ज़ों में थे, अब मेरी खामोशियों में हो..!!!!
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वफ़ा करना सीख भी लो इश्क की नगरी में
सिर्फ दिल लगाने से दिलों में घर नहीं बनते
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बारिश में रख दो इस जिंदगी के पन्नों को, ताकि धुल जाए स्याही
ज़िन्दगी फिर से लिखने का मन करता है कभी- कभी.
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इन आँखों में तेरे इंतज़ार के सिवा कुछ बाकी नहीं...!
जान बाकी है मगर जीने की तमन्ना बाकी नहीं...!!
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ना लफ़्ज़ों में लहू निकलता है ना किताबें बोल पाती है,
मेरे दर्द के दो ही गवाह थे और दोनों ही बेजुबां निकले ---!!
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इस तरह ज़िंदगी ने दिया है हमारा साथ
जैसे कोई निबाह रहा हो रक़ीब से
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#तुम्हारा सिर्फ़ हवाओं पे #शक़ गया होगा,
#चिराग़ ख़ुद भी तो जल-जल के #थक गया होगा.
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जहाँ रोज छोड़ने की बाते हो दोस्तों
समझ जाना वहाँ प्यार नही खेल हो रहा है
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#अजब 👩तेरे नखरे #गजब तेरा
👺#स्टाईल
👃#नाक पोछने की
#taMiz. Nhi. Or
हाथ में #मोबाइल🙊
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#अजब पहेलियां हैं हाथों की लकीरों में..#सफर ही सफर लिखा है # हमसफर कोई नहीं..
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#अजब _मुकाम_पर आ ठहरा है
#काफिला_जिदंगी_ka,
#सुकून ढूंढने निकले थे
#नीदं_भी_गंवा_बैठे
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"कुछ #अजीब सा रिश्ता है
उसके और मेरे दरमियां
"जब भी मिलता है
#पलके झुक जाती है...!!!.
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रात की #खामोशियों में भी #अजब सा #शोर होता है #सुन बस वही #पाता है जो #दर्द के ज्यादा #करीब होता है
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#अज़ब माहौल है मेरे ' #मुल्क ' का, #मज़हब #थोपा #जाता है, ' #इश्क 'रोका जाता है ......!!!
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किसके हैं हम...? बस तुम्हारे ही तो हैं" ,
उसके ये अलफ़ाज़ झूठे; मगर गज़ब के थे
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चाय के उस प्याले के भी क्या ठाठ हैं
सवेरे होते ही तेरे होंठों को चूम लेता है…
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अगर ये सच है
की हर लङकी पैसो पर नही मरती
तो ये भी सच है की
हर लङका जिस्म पर नही मरता।
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मेरे ज़िस्म से उसकी खुशबू आज भी आती है
बड़ी फुर्सत से कभी गले लगाया था मैंने उसे
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