हम भी मुस्कुराते थे कभी बेपरवाह अंदाज से;
देखा है खुद को आज पुरानी तस्वीरों में!-----------
#ना_हमारी ☺ #चाहत 😆इतनी #सस्ती है, #ना ही #नफरत 😉 हम😌 तो #खुदा के वो #बन्दे है…जो #बस_ दुआओं मे मिलते है….😘
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टूटने के बाद भी उनके लिये धड़कता है...
लगता है मेरे दिल का दिमाग खराब हो गया...
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बड़ा इतराती फिरती थी वो अपने हुस्न-ए-रुखसार पर;
मायूस बैठी है जबसे देखी है अपनी तस्वीर कार्ड-ए-आधार पर।
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ताश के पत्ते तो खुशनसीब है यारों;
बिखरने के बाद उठाने वाला तो कोई है!
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ये जो हालात हैं यकीनन एक दिन सुधर जायेंगे;
पर अफसोस के कुछ लोग दिलों से उतर जायेंगे!
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डालना अपने हाथों से कफन मेरी लाश पर;
कि तेरे दिए जखमों के तोहफे कोई और ना देख ले!
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उसके लिये तो मैंने यहा तक दुआएं की है;
कि कोई उसे चाहे भी तो बस मेरी तरह चाहे!
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अपनी हालात का ख़ुद अहसास नहीं है मुझको;
मैंने औरों से सुना है कि परेशान हूं मैं!
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खुद पुकारेगी मंज़िल तो ठहर जाऊँगा;
वरना मुसाफिर खुद्दार हूँ, यूँ ही गुज़र जाऊँगा!
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फिर नहीं बसते वो दिल जो एक बार उजड़ जाते है;
कब्रें जितनी भी सजा लो पर कोई ज़िंदा नहीं होता!
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ताबीज़ जैसा था वो शख्स;
गले लगते ही सुकूँ मिलता था!
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संगदिलों की दुनिया है ये, यहाँ सुनता नहीं फ़रियाद कोई;
यहाँ हँसते हैं लोग तभी, जब होता है बरबाद कोई!
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अगर हमारी उल्फतों से तंग आ जाओ तो बता देना;
हमें नफरत तो गवारा है मगर दिखावे की मोहब्बत नहीं!
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मोहब्बत का ख़ुमार उतरा तो, ये एहसास हुआ;
जिसे मन्ज़िल समझते थे, वो तो बेमक़सद रास्ता निकला!
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हम तो नर्म पत्तों की, शाख हुआ करते थे;
छीले इतने गये कि, खंजर हो गये!
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हमारे बगैर भी आबाद थीं महफिलें उनकी;
और हम समझते थे कि उनकी रौनकें हम से है!
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ये टूटे दरवाजे, टूटी चारपाई और टूटी छत,
मालूम होता है किसी 'ईमानदार' का घर है :))
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कौन चाहता है खुद को बदलना;
किसी को प्यार तो किसी को नफरत बदल देती है!
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ख़ुद भी शामिल नहीं सफ़र में;
पर लोग कहते हैं काफ़िला हूँ मैं!
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हर रूप में कबूल है तू मुझे,
शर्त इतनी सी है की झूठ का हर नकाब हटा के आओ :))
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नज़र अंदाज़ करने की वज़ह क्या है बता भी दो;
मैं वही हूँ, जिसे तुम दुनिया से बेहतर बताती थी।
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इंसान कहता है की टूटी चीज़ मंदिर में नहीं रखनी चाहिए
फिर इंसान खुद टूटकर क्यों मंदिर जाता है l
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