Friday, December 9, 2016

व्हाट्स ऍप स्टेटस --पार्ट 85

    




 हम भी मुस्कुराते थे कभी बेपरवाह अंदाज से;
देखा है खुद को आज पुरानी तस्वीरों में!


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#ना_हमारी ☺ #चाहत 😆इतनी #सस्ती है, #ना ही #नफरत 😉 हम😌 तो #खुदा के वो #बन्दे है…जो #बस_ दुआओं  मे मिलते है….😘


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टूटने के बाद भी उनके लिये धड़कता है...
लगता है मेरे दिल का दिमाग खराब हो गया...



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बड़ा इतराती फिरती थी वो अपने हुस्न-ए-रुखसार पर;
मायूस बैठी है जबसे देखी है अपनी तस्वीर कार्ड-ए-आधार पर।



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ताश के पत्ते तो खुशनसीब है यारों;
बिखरने के बाद उठाने वाला तो कोई है!



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 ये जो हालात हैं यकीनन एक दिन सुधर जायेंगे;
पर अफसोस के कुछ लोग दिलों से उतर जायेंगे!



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 डालना अपने हाथों से कफन मेरी लाश पर;
कि तेरे दिए जखमों के तोहफे कोई और ना देख ले!


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उसके लिये तो मैंने यहा तक दुआएं की है;
कि कोई उसे चाहे भी तो बस मेरी तरह चाहे!


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अपनी हालात का ख़ुद अहसास नहीं है मुझको;
मैंने औरों से सुना है कि परेशान हूं मैं!


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 खुद पुकारेगी मंज़िल तो ठहर जाऊँगा;
वरना मुसाफिर खुद्दार हूँ, यूँ ही गुज़र जाऊँगा!

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 फिर नहीं बसते वो दिल जो एक बार उजड़ जाते है;
कब्रें जितनी भी सजा लो पर कोई ज़िंदा नहीं होता!


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 ताबीज़ जैसा था वो शख्स;
गले लगते ही सुकूँ मिलता था!


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 संगदिलों की दुनिया है ये, यहाँ सुनता नहीं फ़रियाद कोई;
यहाँ हँसते हैं लोग तभी, जब होता है बरबाद कोई!


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अगर हमारी उल्फतों से तंग आ जाओ तो बता देना;
हमें नफरत तो गवारा है मगर दिखावे की मोहब्बत नहीं!


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मोहब्बत का ख़ुमार उतरा तो, ये एहसास हुआ;
जिसे मन्ज़िल समझते थे, वो तो बेमक़सद रास्ता निकला!


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 हम तो नर्म पत्तों की, शाख हुआ करते थे;
छीले इतने गये कि, खंजर हो गये!


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हमारे बगैर भी आबाद थीं महफिलें उनकी;
और हम समझते थे कि उनकी रौनकें हम से है!


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ये टूटे दरवाजे, टूटी चारपाई और टूटी छत,
मालूम होता है किसी 'ईमानदार' का घर है :))


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 कौन चाहता है खुद को बदलना;
किसी को प्यार तो किसी को नफरत बदल देती है!


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 ख़ुद भी शामिल नहीं सफ़र में;
पर लोग कहते हैं काफ़िला हूँ मैं!


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हर रूप में कबूल है तू मुझे,
शर्त इतनी सी है की झूठ का हर नकाब हटा के आओ :))


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 नज़र अंदाज़ करने की वज़ह क्या है बता भी दो;
मैं वही हूँ, जिसे तुम दुनिया से बेहतर बताती थी।


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 इंसान कहता है की टूटी चीज़ मंदिर में नहीं रखनी चाहिए
फिर इंसान खुद टूटकर क्यों मंदिर जाता है l


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