उसने पूछा जिन्दगी किसने बर्बाद की , हमने उंगली उठाई...
और....अपने दिल पर रख दी
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वो दिलनवाज़ लम्हे भी गयी रुत में आये
मैं ख्वाब देखता रहा वो मुझे देखती रही
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दो घड़ी मयस्सर हो , उसका हमसफ़र होना,
फ़िर गवारा है हमें , अपना दर-ब-दर होना
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ना जाने क्या उम्मीद थी..........तेरे जाने के बाद भी,बड़ी देर तक हम ठहरे रहे..
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यार की जुदाई के साथ ज़िंदगी खत्म कर ,
तेरे ही है खुदाया हम कुछ तो रहम कर…
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अंजान अगर हो तो गुज़र क्यूँ नहीं जाते…
पहचान रहे हो तो ठहर क्यूँ नही जाते..
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किस खत मे लिखकर भेजूँ अपने इंतजार को तुम्हे..
बेजबां सा इश्क है मेरा, खामोशी से ढूँढते है तुम्हें..
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बढ़ा लो हाथ दोस्ती मेरी तरफ .
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यक़ीन मानों टूटे दिल से अच्छा साथी कोई नहीं
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निकला करो इधर से भी होकर कभी कभी,
आया करो हमारे भी घर पर कभी कभी,
माना कि रूठ जाना यूँ आदत है आप की,
लगते मगर है ये अच्छे ये तेवर कभी कभी
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हजार लुत्फ़ ए जाम हजार मयखाने ,,,,,
मगर
निग़ाहें ए यार की लज्जत शराब क्या जाने ??
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मेरी हर साँस अमानत है तेरी यादों की
टूट कर इससे ज्यादा तुझे चाहूँ कैसे....
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शिकायते तो तुम्हारी आँखों के काजल से है....जो मेरे जाने बाद चमकते हुए चेहरे पर दाग लगा देता है...
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चमकने वाली है तहरीर मेरी किस्मत की कोई चराग़ की
लौ को ज़रा सा कम कर दे.
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जख्म दे जाती है उसकी आवाज#मुझको आज भी,
जो#बरसों पहले चुपके से कहती थी बहुत प्यार करती हूँ तुमसे
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भेजा था # love_letter उस अनपढ़ के लिए ...
बैरण पकड़ा के अपने बाबू ते बोली "बाबू बिजली का बिल आरा से"
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मौत से पहले एक और मौत होती है, कुछ लोग जिसे मोहब्बत कहते हैं
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शिकवा करें तो भी 'किस-से करें , ये दर्द भी मेरा, और देने वाला भी मेरा
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मुकम्मल हो ही गयी आखिर ... आज ज़िन्दगी की ग़ज़ल
मेरी महबूबा ने भी .... उसे पढ़कर ... वाह-वाह बोला है
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शायद लोगों की नजरो में हमारी कोई कीमत ना हो,
लेकिन कोई तो होगा जो, हमारा हाथ पकड़ कर खुद पर नाज़ करेगा..
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लाख करो गुजारिश ... लाख दो हवाले
छोड़ कर चले ही जाते है ....जाने वाले
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वो जो उन्हेँ, हल्का-हल्का गुरुर है..
सब मेरी तारीफो का कुसूर है..
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मैं अल्फ़ाज़ हूँ, तेरी हर बात समझता हूँ,
मैं एहसास हूँ , तेरे जज़्बात समझता हूँ,
कब पूछा मैने की क्यूं दूर हो मुझसे,
मैं दिल रखता हूँ तेरे हालात समझता हूँ..
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हर रोज नहा लेता हूँ .तेरी यादो की बारिश में....
पर कमबख्त तेरे #इश्क का रंग छूटता ही नही.....
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तुम खुद उलझ जाओगे मुझे गम देने की चाहत में,
मुझमें हौसला बहुत है मुस्कुराकर निकल जाऊगी।
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मोहब्बत से रिहा होना ज़रूरी हो गया है..!!
मेरा तुझसे जुदा होना जरूरी हो गया है,,
वफ़ा के तुज़ुर्बे करते हुए तो उम्र गुज़री है,,
ज़रा सा बेवफा होना जरूरी हो गया है..!!
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मेरी वफा की गवाही तो सितारे भी देते हैं
पर मेरे चाँद को मुझ पर एतबार ना आया...
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कोई नजर उठाये तेरी तरफ तो दिल धड़क जाता है ....
ना जाने क्यूँ डर सा लगता कि कोई छीन ना ले#तुझे मुझसे
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घोंसला बनाने में यूँ मशग़ूल हो गए.....उड़ने को #पंख हैं, हम ये भी भूल गए
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