तेरा ..आधे मन से बात करना ..
मुझे पूरा तोड़ देता है
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मेरी सोच की सरहद के इस पार भी तू, उस पार भी तू....
ये तेरी सल्तनत है इसे बसा के रख या उजाड़ दे!!!
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आज अल्फ़ाज़ नहीं
मिल रहे साहिब...
"मोहब्बत" लिख दिया है..... महसूस कीजिए...
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यादें बनकर ही सही रहते तो हो साथ मेरे,
आपके इतने एहसान का भी हजार बार शुक्रिया !!
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अब और क्या सबूत दे उनकी चाहत का……
उन्होने एक बिँदी भी लगाई तो वो भी हमारी आँखो में देखकर……
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यूँ ही अपने होंठों को झूठी हंसी से 'संभाल लेती हूँ।।
अंदर से कितना टूटी हूँ बस खुद पे 'पर्दा डाल लेती हूँ
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ऐसा क्या लिखूँ कि तेरे दिल को तसल्ली हो जाये, क्या ये काफी नहीं कि मेरी बंदगी हो तुम!
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तेरी तलाश में निकलूँ भी तो क्या फायदा . . तुम बदल गए हो . . खो गए होते तो और बात थी|
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करज़दार रहेंगे हम उस हकीम के......
जिसने दवा के बदले... तेरा दीदार लिख दिया....
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क्युं कहूँ उससे कि बात कर मुझसे
क्या उसको नहीं पता कि उसके बिना मेरा दिल नहीं लगता
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सुन पगली करा ली है डायबिटीज की जाँच
सारी डायबिटीज तेरी किस्सी से हुई है ..
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भूलना.. भुलाना... दिमाग का काम है साहेब....
आप.. दिल में रहते हो... बेफ़िक्र हो जाओ..
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वो जबाव तलब है कि "मुझे भूल तो ना जाओगे"..!!
जबाब मैं क्या दूँ जब सवाल ही नहीं उठता.
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“यादों की कसक, साँसों की थकन, आँखों में नमी है,
ज़िन्दगी तुझमे सब कुछ है बस “उसकी” कमी है...!”..
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अब क्यूँ रहना चाहेगा कोई किसी के दिल में उम्र भर...!!
सुना है किराये पर दिल मिलने लगें हैं इस शहर में…!!!!
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तलब है तुम्हारी कि मिटती नही है,
ये जिदगीं तुम बिन कटती नही है,
लाख चाहा कि लिख दूँ मैं दर्द अपना,
कलम है कि तेरा फरेब लिखती नहीं है।
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सजदा कहूँ या कहूँ इसे मोहब्बत
तेरे नाम में आये अक्षर भी
हम मुस्कुरा कर लिखा करते हैं
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कुदरत ने लिखा था तुझको मेरी तमन्नाओं में
तेरी किस्मत में मैं ना था ये और बात है..
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तेरे हर नक़्श-ए-पा को रहगुज़र में सज़दा कर बैठे..
जहाँ तूने क़दम रखा ,वहाँ हमने भी सर रखा ..
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मेरी तड़प तो कुछ भी नहीं है
सुना है उसके दीदार को तो आईने भी तरसते है ।
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तुमने देखी नहीं हमारी, फूलों सी वफा...!
हम जिस पे खिलते हैं, उसी पे मुरझा जाते है...!!
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