एक जरा सा छू लेने की तमन्ना है तुम्हें ,
पूरी पूरी रात बेकरार रहता है मेरा दिल......
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तेरे ज़िक्र से ही सँवर जाते हैं, लफ़्ज़ भी क्या तुझे छू के आते हैं
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कोई तो ऐसी होनी चाइये Life में, जो गले लगा कर कहे रो मत पगले कल पक्का kiss दूंगी..
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मेरे बारे में पहले ही जान ले पगली, मैं उलझे हुए मिज़ाज का, सुलझा हुआ इंसान हूँ
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तेरे मिज़ाज से मिलता नहीं मिज़ाज अपना, उठाओ ये महफ़िल इन्तज़ाम अपना
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नफरत है या# मोहब्बत फर्क नहीं पड़ता, तुम नाम लो मेरा तो# अच्छा लगता है
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हम कुछ ना कह सके उनसे, इतने जज्बातों के बाद,
हम अजनबी के अजनबी ही रहे इतनी मुलाकातों के बाद..
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वो कल भी थी ,आज भी है ,आगे भी रहेगी ,
मोहब्बत कोई तालिम नही जो पूरी हो जाये
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देख कर उसको अक्सर हमें एहसास होता है
कभी कभी गम देने वाला भी बहुत ख़ास होता है
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मंदिर मस्ज़िद जैसी थी उसकी और मेरी# मोहब्बत...कितना भी चाहा पर एक ना हो सके....
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तू समझती है कि रिश्तों की दुहाई देंगे , हम वो है, जो तेरे चेहरे से दिखाई देंगे
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मिले उनसे खुदाया भूले खुद को , बड़ी ही दिलनशीं नजदीकियां हैं ।।
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मुझे उसकी ये मासूम अदा बहुत भाती है ... नाराज मुझ से होती है और गुस्सा सबको दिखाती है.
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तुम्हें हक है अपनी जिंदगी जैसे चाहे जियो तुम,
बस एक पल के लिए सोचना मेरी जिंदगी हो तुम
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हमारी जिंदगी की हकीकत हो तुम
तेरे बिना जिंदगी की औकात ही क्या है
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जिस्म से होने वाली मुहब्बत का इज़हार आसान होता है.
रुह से हुई मुहब्बत को समझाने में ज़िन्दगी गुज़र जाती है
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#मेरी रूह को छू ...लेने के लिए , बस कुछ #लफ्ज़ ही काफी है,💕
💕कह दो बस इतना ही की #तेरे , साथ जीना अभी बाकी है
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अपनी नज़दीकियों से दूर ना कर मुझे , मेरे पास जीने की वजहें बहुत कम है
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न वो आ सके न हम कभी जा सके , न दर्द दिल का किसी को सुना सके
बस बैठे है यादों में उनकी न उन्होंने याद किया और न हम उनको भुला सके
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गज़ल मेरी तूने अपने तकिये के नीचे छुपायी थी..
मैं ये सुनकर हेरान हो गया..
तूने वो गज़ल अपने होठों से भी लगायी थी
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कौन कहता है संवरने से बढ़ती है खूबसूरती…
दिलों में चाहत हो तो चेहरे यूँ ही #निखर आते है
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जागती आँखों से... एक ख्वाब ..बुना है मैंने,
हज़ार चेहरों में ...एक तुझको ...चुना है मैंने,.
..तेरी खुशबू से महक जाते है ...मेरी साँसों के गुलाब...
तेरे बारे में ...हवाओं से सुना है मैंने
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करके मेरे दिल पे कब्ज़ा
कहता है अब जा
पहले जिद करता था जिन बातों की
उन ही के लिये कहता है
अब नही कर मान जा
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वो पगली सज सँवरके पूछती है,
हम कैसे दिखते है ,,,
शायद कुछ अल्फाज मिल जाये जो मैं कह दूँ ,
आप ऐसे दिखते है
जैसे जुगनू आसमां में चमकते हैं
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पन्नों के परे भी है इक ज़िन्दगी..
जैसे तेरी मेरी..
सब किरदार किताबों में नहीं मिलते..
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उनको अपने हाल का हिसाब क्या देते,
सवाल सारे गलत थे जवाब क्या देते,
वो तीन लफ्जों की हिफाजत ना कर सके,
उनके हाथ में जिंदगी की पूरी किताब क्या देते.....
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सफर वहीं तक है जहाँ तक तुम हो,
नजर वहीं तक है जहाँ तक तुम हो,
हजारों फूल देखे हैं इस गुलशन में मगर,
खुशबू वहीं तक है जहाँ तक तुम हो
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फिर बिखरनें को तैयार रह ए-दिल
कुछ लोग पेश आ रहे हैं बहुत __प्यार से
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उफ्फ....
वो जुल्फें, वो निगाहें, वो हँसी
यूँ डराना कोई ज़रूरी था?
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मुझसे नफ़रत की अज़ब राह निकाली उसनें,
हँसता बसता दिल कर दिया खाली उसनें,
मेरे घर की रिवायत से वो खूब वाक़िफ था,
जुदाई माँग ली बन के सवाली उसनें !!!
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