Monday, April 11, 2016

व्हाट्स ऍप स्टेटस --पार्ट 33




तू क्या औकात में हमारी बराबरी करेगी,
अरे पगली हम तो class में हाजरी में भी Har Har Mahadev बोलते हैं ..




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 जिसके पीछे हम थे वो किसी और के पीछे थी,😟
मगर जिसके पीछे सारा स्कूल था वो हमारे पीछे थी.😛


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दिल की कीमत तो मुहब्बत के सिवा कुछ ना थी…
जितने भी मिले सूरत के खरीद-दार मिले…



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 ज़र्रा ज़र्रा जल जाने को हाज़िर हूँ,,,,, बस शर्त है कि वो आँच तुम्हारी हो.....




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फुर्सत मिले तो कभी बैठ कर सोचना, तुम भी मेरे अपने हो या सिर्फ हम ही तुम्हारे हैं..


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बेवक्त बेवजह बेसबब सी बेरुखी तेरी,
फिर भी बेइंतहा तुझे चाहने की बेबसी मेरी !




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"‪#‎DiL‬ ,से खुशी हुई...उस समय जब उसने कहा की... ‪#‎Options‬,तो बहुत है. पर ‪#‎Decision‬,सिर्फ तुम हो...!!!




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अगर फुर्सत के लम्हों में तुम मुझे याद करते हो तो अब मत करना.. क्योकि मैं तन्हा जरूर हूँ , मगर फिजूल बिल्कुल नहीं.



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 आईना हूं तेरा, क्यूं इतना कतरा रहे हो..सच ही कहूंगा, क्यूं इतना घबरा रहे हो..�



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आरजू जुर्म, वफा जुर्म, तमन्ना हैं गुनाह,
ये वो दुनियाँ हैं, जहाँ प्यार नहीं हो सकता.!!
कैसे समझाऊं तुम्हें दस्तूर ऐ बाजार का
बिक गया जो, वो ख़रीदार नहीं हो सकता.!!



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वो जिंदगी ही क्या जिसमें मोहब्बत नहीं 
वो मोहब्बत ही क्या जिसमें यादें नहीं 
वो यादें ही क्या जिसमें तुम नहीं 
और वो तुम ही क्या , जिसके साथ हम नहीं 



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 किसको पाने की तलब है यहां.... हम तो बस तुझे खो देने से डरते है !!



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कभी किसी के जज्बातों का मजाक ना बनाना. ना जाने कौन सा दर्द लेकर कोई जी रहा होगा....


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मैं उसकी हो नही सकती बता न देना उसे !! लकीरे हाथ की अपनी वो सब जला लेगा !!


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बिन बात के ही रूठने की आदत है; किसी अपने का साथ पाने की चाहत है;
आप खुश रहें, मेरा क्या है; मैं तो आइना हूँ, मुझे तो टूटने की आदत है


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मत पूछ के कितनी 💑मोहब्बत है तुझसे ; ऐ बेखबर'; ..... ☔बारिश की 💦बूँदे भी तुझे छू लें, तो ❤दिल 🔥जलने लगता है ...



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दुआएं बे-असर  नहीं होतीं ...
.बस बेहतरीन वक्त पर कुबूल होती हैं।


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कसूर मेरा था तो कसूर उनका भी था... 🌹🌹
नज़र हमने जो उठाई थी तो वो झुका भी सकते थे...




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"मैने उसके नरम होँठो को चूमने की इजाज़त माँगी,
वो अपने होंठ करीब लाकर बोली पगले प्यार में इजाज़त की जरुरत नहीं होती!"


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बहुत अन्दर तक तबाही मचाता है …
वो आंसू जो आँखों से ‘बह’ नहीं पाता……


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फ़िराक़ -ए -यार ने बेचैन मुझ को रात भर रखा 
कभी तकिया इधर रखा कभी तकिया उधर  रखा 



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