पहली मुलाकात थी दोनों ही बेबस थे, ना वो अपनी जुल्फें सम्हाल पाये और न ही हम खुद को
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नारी तुम केवल श्रध्दा हो विश्वास रजत नग पग तल में
पीयूष स्रोत सी बहा करो जीवन के सुन्दर समतल में
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कहने को बहुत कुछ है मेरे दिल में मगर चंद लफ्जों में सुनो तुम मेरी आख़री ख़्वाहिश हो
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ज़ख्म देने की आदत नहीं हमें ,हम आज भी वो अहसास रखते है
बदले बदले से तो आप हैं जो हमारे अलावा सब का ध्यान रखते हैं
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यह भी अच्छा है हम किसी को अच्छे नहीं लगे , मेरे मरने के बाद कोई रोएगा तो नहीं
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कभी कभी ऐसा भी होता है,की सुकून के लिये, दवा की नहीं किसी के साथ की जरुरत होती है......!
नारी तुम केवल श्रध्दा हो विश्वास रजत नग पग तल में
पीयूष स्रोत सी बहा करो जीवन के सुन्दर समतल में
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कहने को बहुत कुछ है मेरे दिल में मगर चंद लफ्जों में सुनो तुम मेरी आख़री ख़्वाहिश हो
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ज़ख्म देने की आदत नहीं हमें ,हम आज भी वो अहसास रखते है
बदले बदले से तो आप हैं जो हमारे अलावा सब का ध्यान रखते हैं
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यह भी अच्छा है हम किसी को अच्छे नहीं लगे , मेरे मरने के बाद कोई रोएगा तो नहीं
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कभी कभी ऐसा भी होता है,की सुकून के लिये, दवा की नहीं किसी के साथ की जरुरत होती है......!
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प्यार एक ज़िम्मेदारी है जिसे सिर्फ तकदीर वाले उठाया करते हैं
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नफरत सी हो गई है इस दुनिया से बस एक तुमसे मोहब्बत करके..
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मैं ये नहीं कहता कि तू नहीं मिली तो जान दे दूंगा , पर एक वादा करता हूं तू मिली तो जिंदगीभर साथ दूंगा
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औक़ात नही थी जमाने की जो मेरी कीमत लगा सके ,
कबख़्त इश्क में क्या गिरे , मुफ़्त में नीलाम हो गए ..
कबख़्त इश्क में क्या गिरे , मुफ़्त में नीलाम हो गए ..
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मोहब्बत की अदालत में, इंसाफ कहां होता हैं....! सजा उसी को मिलती हैं, जो बेगुनाह होता हैं
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यादें करवट बदल रही हैं दूर तलक मैं तन्हाँ हूँ, वक़्त भी जिससे रूठ गया है मैं वो बेबस लम्हा हूँ।
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