मुझ से ज्यादा तुझे शायद मेरी आँखे चाहती है.... जब भी तुझे सोचती हूँ तो ये भर आती है
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इतनी चाहत तो लाखों रुपये पाने की भी नहीं होती , जितनी बचपन की तस्वीर देखकर बचपन में जाने की होती है …
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काश मैं ऐसी बात लिखूँ तेरी याद में , तेरी सूरत दिखाई दे हर अल्फ़ाज़ में
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अब तेरी नशीली आँखों का नशा नहीं मिलता , शुक्र है शराब का... तेरी कमीं महसूस नहीं होने देती
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मत दो मुझे खैरात उजालों की……अब खुद को सूरज बना चुका हूं मैं
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धीरे धीरे बहुत कुछ बदल रहा है…
लोग भी…रिश्ते भी...... और कभी कभी हम खुद भी….
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जैसा मैं चाहता हूँ , तू वैसी ही है …बस..मुझे वैसा बना दे जैसा तू चाहती है
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तेरी आँखों की सादगी देखने को नहीं मिलती ,
इसीलिए शराब से नाता जोड़ लिया मैंने
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इश्क करना है तो दर्द भी सहना सीखो,
वरना ऐसा करो औकात में रहना सीखो..
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ये न कहना मेरा प्यार फर्ज़ी है , करो न करो तुम्हारी मर्ज़ी है
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वो साथ थे तो एक लफ़्ज़ ना निकला लबों से.. #दूर क्या हुए कलम ने #क़हर मचा दिया
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मजा चख लेने दो उसे #गैरों की मोहब्बत का , इतनी #चाहत के बाद जो मेरा न हुआ वो किसी और का क्या होगा
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तेरी यादों को पसन्द आ गई है, मेरी आँखों की नमीं #हँसना भी चाहूँ तो रूला देती है तेरी कमीं
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“जिसे पूजा था हमनें वो खुदा तो न बन सका , हम इबादत करते करते फकीर हो गए
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परेशान हूँ कि परेशानीं नहीं जाती , बचपन तो गया मगर नादानी नहीं जाती
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रात सारी तड़पते रहेंगे हम अब , आज फिर ख़त तेरे पढ़ लिए शाम को
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मौत ने चुपके से न जानें क्या कहा ? और जिंदगी खामोश हो कर रह गयी
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सुना है तुम #तकदीर देखनें का हुनर रखते हो , मेरा हाथ देख कर बताना ज़रा पहले तुम आओगे या मौत