Thursday, May 12, 2016

( ROMANTIC ) व्हाट्स ऍप स्टेटस --पार्ट 51






ख़्वाहिश तो यही है कि तेरे बाँहों में पनाह मिल जाये
शमां खामोश हो जाये और शाम ढल जाये



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नीची नज़र से मुझ को न देखो ,  लोग अफ़साने बना लेंगे



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हल्की हल्की सी हंसी में कहीं , छलकी छलकी सी मेरी चाहत है दबी सी




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उसने मुझे पूछा मेरे बिना जी लोगे..? सांस रूक चुकी थी...और वो समझे हम सोच रहे हैं..!!




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अल्फाज लिखते लिखते हाथो से कलम छूट गयी
चन्द पल को ऐसा लगा जैसे जिस्म से रूह निकल गयी




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बहुत छेड़ती हैं निगाहें तेरी , रोको इन्हें , हम बहक जाएँगे
सँभाली न जाएगी , ख़ुशबू तेरी फैली तो , कई दिल महक  जाएँगे ।।।



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 जब भी तेरी याद आती है , तब मैं  अपने दिल पे हाथ रखती हूँ, क्यों कि मुझे पता है तू कहीं  नहीं मिला तो यहाँ  जरुर मिलेगा..




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बहुत अफसोस मेरे प्यार को तुम जान न पाये , तेरी गलियाँ भी मेरी आहटें पहचान लेती है!...




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छोड़ दिया अब तेरा इंतज़ार करना ...आखिर एक झूठी उम्मीद का इंतज़ार कब तक करूँ ....?





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हमारा भी ख़याल कीजिए…कहीं मर ही ना जाए हम…बहुत जहरीली हो चुकी है…अब ये खामोशियाँ आपकी…



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 जलवे तो बेपनाह थे इस कायनात में, . .ये बात और है कि# नजर तुम पर ही ठहर गई




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हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली , कुछ यादें मेरे संग पांव पांव चली
सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ ,वो जिंदगी ही क्या जो छाँव-छाँव चली।।




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सिलसिला जो चल पड़ा है , जमानें में रिश्वतों का ..... तुम भी कुछ ले दे के मेरे क्यों नहीं हो जाते 



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चलो आज एक सौदा करते हैं हम दोनों
तुम अपना दिल दो , हम जिंदगी तेरे नाम करते हैं



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किसी को बताने से मेरे अश्क़ रुक ना पायेंगे , मिट जायेगी जिंदगी मगर ग़म धुल न पायेंगे।



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चलती है दिल के शहर में ऐसी हुकुमते..बस जो भी उसने कह दिया दस्तूर हो गया..



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हम भी जी सकते थे.......अगर मरते ना तुम पे...




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"कैसे तुम इतनी अच्छी हो मन से भी तो सच्ची हो
"कैसे तुझमें सब ऐसा है ना और किसी के जैसा है "




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ये बेरहम आँखो का गुनाह है , कत्ल कर के पलकों को झुकाया है,
ऐ मेरे मसीहा....जरा रुख से पर्दा हटा  , ये दिल तेरे कदमो में आया है,



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उनको फुर्सत ही नहीं के पलट कर देखें , हम ही दीवाने हैं , की दीवाने बने रहते हैं




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उठ रही है महक तेरी ....मेरे एहसास में......
वो खुशी ओर कहीं नहीं जो है....तेरे दीदार में ...🌹⭕



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