मुझे आजमाने वाले शख्स तेरा शुक्रिया
मेरी काबिलियत निखरी है तेरी हर आजमाइश के बाद..
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बातों की तह तक जाते हो!
ढूँढ के आख़िर क्या लाते हो?
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हिला के रख देता है इंसान की बुनियाद..
कमबख़्त इश्क भी किसी जलजले से कम नहीं..
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ना मेरा प्यार कम हुआ, ना उनकी नफरत..
अपना अपना फर्ज था, दोनों अदा कर गये..
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नफरत और प्यार की जंग में हार गया दिल
अब टूटे हुए दिल को कहाँ ले जाएं हम
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चल आ तेरे पैरों पर मरहम लगा दूं ऐ# मुक़द्दर
कुछ चोटें तुझे भी आई होगी,
मेरे सपनों को ठोकर मारकर !!!!!
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सुन पगली : तुम्हें छेड़नें का मन करता हैं , छोड़ने का नहीं…
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कुछ नहीं मिला इश्क़ के समंदर में
सिर्फ डूबना ही लिखा है भंवर में
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हमने भी मुआवजे #की अर्जी डाली #है साहब
उनकी यादों #की बारिश ने काफी नुकसान पहुँचाया #है
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काश वह पल ही नहीं हो की जिस पल में नजर तू न आये। और ऐसा पल आये तो उस पल मैं हम मरजाये
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लौट आओ वो हिस्सा लेकर, जो साथ ले गये थे तुम..
इस रिश्ते का अधूरापन अब अच्छा नहीं लगता....!!
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रात पास बैठी थी खामोश , मेरे साथ हमेशा की तरह
कोई और भी था हमारे बीच , एक हज़ार मीलों का ख्वाब
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तन्हाई का ये आलम और इंतज़ार की ये रात
दोनों कब ख़त्म होंगे पता नहीं
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नहीं जानते क्या हैं #रिश्ता तुमसे मेरा......
#मन्नतों के हर धागे में एक #गाँठ तेरे नाम की #बाँधते हैं अब हम.!!
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मन्नत के तावीज की तरह पहन लेते हैं तुझे हम
सुना है खुदा के दर पर मन्नतें पूरी होती है
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मेरे घर के आईने टूटे.. मुझसे ना उम्मीद होकर..
मैं आईनों से ज्यादा टूटा.. उसके करीब होकर.
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ज़िंदगी क्या है जान जाओगे..रेत पर ला के मछलियाँ रख दो...ll.
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हलकी सी हो चुकी ये नाज़ुक पलकें मेरी
मुद्दतों बाद इन नज़रों से गिरा है कोई ..
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तुम रूठ जाओगी तो मैं मना लूंगा,
.पर इसका मतलब ये नहीं की
.तुम रोज #बन्दरिया जैसा मुह बनाकर बैठ जाओ..
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#कुछ_तो_बात_है_तेरी_फितरत_मे
ऎ दोस्त
#वरना_तुझको_याद_करने_की_खता_हम_बार-बार_न_करते....
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खुशियों की नीलामी कर के आया हूँ...
मजबूरी की बोली सबसे ऊँची थी...
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