बस गयी है मेरे अहसास में ये कैसी महक
कोई खुशबू मैं लगाऊं , तेरी खुशबू आये
मैंने दिन रात खुदा से ये दुआ मांगी थी
कोई आहट न हो दर पे मेरे और तू आये
उसने छोड़ कर मुझे पत्थर से फिर इंसान किया
मुद्दतों बाद मेरी आँख में आंसू आये
अज्ञात
No comments:
Post a Comment