Monday, January 18, 2016

तू मुझे नींद में बुला तो सही


तू मुझे नींद में बुला तो सही

क्या पता तेरा ख़्वाब हो जाऊँ

दिल की नज़रों से गर पढ़े मुझको

आसमानी किताब हो जाऊँ


अपने होंठों से मुझको चख तो जरा

मैं भी शायद शराब हो जाऊँ


छोड़ कर दिल, दिमाग की मानूं

मैं भी हाज़िर जवाब हो जाऊँ


उम्र मुझको बना ले गर अपनी

रात-दिन का हिसाब हो जाऊँ 

"बेनाम "

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