Sunday, January 17, 2016

फिर आज मुझे तुम को बस इतना बताना है






फिर आज मुझे तुम को बस इतना बताना है

हँसना ही जीवन है हँसते ही जाना है


मधुबन हो या गुलशन हो पतझड़ हो या सावन हो

हर हाल में इंसाँ का इक फूल सा जीवन हो


काँटों में उलझ के भी ख़ुशबू ही लुटाना है

हँसना ही जीवन है हँसते ही जाना है


हर पल जो गुज़र जाये दामन को तो भर जाये

ये सोच के जी लें तो तक़दीर सँवर जाये


इस उम्र की राहों से ख़ुशियों को चुराना है

हँसना ही जीवन है हँसते ही जाना है


सब दर्द मिटा दें हम, हर ग़म को सज़ा दें हम

कहते हैं जिसे जीना दुनिया को सिखा दें हम


ये आज तो अपना है कल भी अपनाना है

हँसना ही जीवन है हँसते ही जाना है

-सुदर्शन फ़ाकिर

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