Sunday, January 17, 2016

ये देख कर पतंगे भी हैरान हो गयी





ये देख कर पतंगे भी हैरान हो गयी

अब तो छते भी हिन्दू -मुसलमान हो गयी



क्या शहर -ए-दिल में जश्न -सा रहता था रात -दिन

क्या बस्तियां थी ,कैसी बियाबान हो गयी



आ जा कि चंद साँसे बची है हिसाब से

आँखे तो इन्तजार में लोबान हो गयी



उसने बिछड़ते वक़्त कहा था कि हँस के देख

आँखे तमाम उम्र को वीरान हो गयी


- मुनव्वर राना 

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