Sunday, January 17, 2016

सामने गुलशन नज़र आया




सामने गुलशन नज़र आया

गीत भँवरे ने मधुर गाया ।


फूल के संग मिले काँटे भी

ज़िन्दगी का यही सरमाया ।


उन की महफ़िल में क़दम मेरा

मैं बडी गुस्ताखी कर आया ।


आँख में भर कर उसे देखा

फिर रहा हूँ तब से भरमाया ।


चोट ऐसी वक्त ने मारी

गीत होंठों ने मधुर गाया ।


धुंध ऐसी सुबह को छाई

शाम का मन्जर नज़र आया ।


आँख टेढ़ी जब हुई उन की

ज़िन्दगी ने बस क़हर ढाया ।


डॉ सुधेश

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