Sunday, January 17, 2016

अपने साये को इतना समझा दे

ब्लॉगर:  महेश जाँगिड़ 




अपने साये को इतना समझा दे

मुझे मेरे हिस्से की धूप आने दे


एक् नज़र में कई ज़माने देखे तू

बूढ़ी आंखो की तस्वीर बनाने दे


बाबा दुनिया जीत के मैं दिखा दूँगा

अपनी नज़र से दूर तो मुझ को जाने दे


मैं भी तो इस बाग़ का एक् परिंदा हूं

मेरी ही आवाज़ मैं मुझ को गाने दे


फिर तो ये उँचा ही होता जायेगा

बचपन के हाथो में चाँद आ जाने दे

-वसीम बरेलवी

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