ब्लॉगर :महेश जाँगिड़
दोस्ती जब किसी से की जाये
दुश्मनों की भी राय ली जाए
मौत का ज़हर हैं फिजाओं में
अब कहाँ जा के सांस ली जाए
बस इसी सोच में हूँ डूबा हुआ
ये नदी कैसे पार की जाए
मेरे माँझी के ज़ख्म भरने लगे
आज फिर कोई भूल की जाए
बोतलें खोल के तो पी बरसों
आज दिल खोल के पी जाए
-राहत इन्दौरी
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