Sunday, January 17, 2016

कश्ती तेरा नसीब चमकदार कर दिया

ब्लॉगर :महेश  जाँगिड़ 



कश्ती तेरा नसीब चमकदार कर दिया

इस पार के थपेड़ों ने उस पार कर दिया


अफवाह थी की मेरी तबियत ख़राब हैं

लोगो ने पूछ पूछ के बीमार कर दिया


रातों को चांदनी के भरोसें ना छोड़ना

सूरज ने जुगनुओं को ख़बरदार कर दिया


रुक रुक के लोग देख रहे है मेरी तरफ

तुमने ज़रा सी बात को अखबार कर दिया


इस बार एक और भी दीवार गिर गयी

बारिश ने मेरे घर को हवादार कर दिया


बोल था सच तो ज़हर पिलाया गया मुझे

अच्छाइयों ने मुझे गुनहगार कर दिया


दो गज सही ये मेरी मिलकियत तो हैं

ऐ मौत तूने मुझे ज़मीदार कर दिया



-राहत इन्दौरी

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