Sunday, January 17, 2016

तुम्हारे जिस्म की ख़ुश्बू गुलों से आती है





तुम्हारे जिस्म की खुशबू गुलों से आती है

ख़बर तुम्हारी भी अब दूसरों से आती है


हमीं अकेले नहीं जागते हैं रातों में

उसे भी नींद बड़ी मुश्किलों से आती है


हमारी आँखों को मैला तो कर दिया है मगर

मोहब्बतों में चमक आँसुओं से आती है


इसी लिए तो अँधेरे हसीन लगते हैं

कि रात मिल के तेरे गेसुओं से आती है


ये किस मक़ाम पे पहुँचा दिया मोहब्बत ने

कि तेरी याद भी अब कोशिशों से आती है



       "मुनव्वर राना " 


No comments: